Problem of Environment: पर्यावरण की समस्या समाधान अणुव्रत: मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक

Anuvrat to solve the problem of environment
चंडीगढ, 29 सिंतबर: Problem of Environment: शुद्ध पर्यावरण के महत्त्व को आज दुनिया जितनी शिद्दत से अनुभव कर रही है, सम्भत: मानव इतिहास में कभी नहीं किया होगा। यह इसलिए है क्योंकि मानव ने पर्यावरण को जितना नुकसान पिछली एक सदी में पहुँचाया है, उतना कभी नहीं पहुंचाया। भावी पीढिय़ों को पर्यावरण संकट के बढ़ते खतरों से बचाना हमारा अहम दायित्व है। आइए, हम स्वयं पर्यावरण शुद्धि का संकल्प लें और दूसरों को भी जागरूक करें। आज का युग आधुनिक युग है, और पूरा संसार ही पर्यावरण के प्रदूषण से पीडि़त है, आज मनुष्य की हर एक सांस लेने पर हानिकारक है जहरीली गैसे मिली होती है। इसकी वजह से जहरीले सांस लेने के लिए हम मानव मजबूर है। इस्से हमारे शरीर पर कई विकृतियां पैदा हो रही है, कई तरह की बीमारियां विकसित हो रही है, वो दिन वो दिन दूर नहीं है, अगर पर्यावरण इसी तरह से प्रदूषित होता रहा तो पूरी पृथ्वी प्राणी और वनस्पति इस प्रदूषण में विलीन हो जाएगी इसलिए समय रहते हमें इन प्रदूषण से हमारी पृथ्वी और हमारी जान बचानी है इसलिए इसके संरक्षण का उपाय हर व्यक्ति को करना आवश्यक है। ये शब्द मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमार जी आलोक ने अणुव्रत भवन सैक्टर-24 तुलसीसभागार मे अणुव्रत सप्ताह के चौथे दिन पर्यावरण शुद्धि दिवस पर कहे।
मनीषीश्रीसंत ने आगे कहा अणुव्रत के नियमों का पालन करके चरित्र निर्माण किया जा सकता है। जिस देश के नागरिकों का चरित्र अच्छा होता है वह राष्ट्र हमेशा उन्नत रहता है। सभी कहते है जियो और जीने दो, लेकिन इसके साथ संयम शब्द को और जोडकर कहना चाहिये कि संयम से जीयो और संयम से जीने दो। अणुव्रत का मतलब है छोटे-छोटे व्रत। श्रावक वह है जिसके जीवन में व्रत होते है। इन व्रतों से व्यक्ति अपनी चेतनाओं को विकसित कर सकता है। जब तक 12 व्रतों की उपासना हम नही करेंगे तब तक जैनी नही कहलायेंगे। यदि हम एक समान तपस्या करेंगे तो सभी एक समान ही बनेंगे। हमारे देश में अक्सर ऐसा होता है कि कोई भी बड़ा कार्य होता है तो हम उम्मीद करते हैं कि वह सरकार करेगी जैसे पर्यावरण संरक्षण दुर्भाग्य से कुछ लोग मानते हैं कि केवल सरकार और बड़ी कंपनियों को ही पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ करना चाहिए परंतु ऐसा नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अगर अपनी अपनी जिम्मेदारी समझे तो सभी प्रकार की कचरा ,गंदगी और बढ़ती आबादी के लिए स्वयं उपाय करके पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी दे सकता है, लेकिन प्रगति के नाम पर पर्यावरण को मानव ने ही विकृत करने का प्रयास किया है, पर्यावरण व्यापक शब्द है जिसका सामान्य अर्थ प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया समस्त भौतिक और सामाजिक वातावरण इसके अंतर्गत जल, वायु, पेड़, पौधे, पर्वत, प्राकृतिक संपदा सभी पर्यावरण सरक्षण के उपाए में आते है। पर्यावरण सुरक्षा और उसमें संतुलन हमेशा बना रहे इसके लिए हमें जागरुक और सचेत रहना होगा। प्रत्येक प्रकार के हानिकारक प्रदूषण जैसे जल, वायु, ध्वनि, इन सब खतरनाक प्रदूषण से बचने के लिए अगर हमने धीरे-धीरे भी कोई उपाय करें तो हमारी पृथ्वी की सुंदरता जो कि पर्यावरण है। उसे बचा सकते हैं और अपने जीवन को भी स्वस्थ और स्वच्छ रूप में प्राप्त कर सकते हैं पर्यावरण संरक्षण विश्व में प्रत्येक मनुष्य के लिए अनिवार्य रूप से घोषित करना चाहिए। पर्यावरण है तो हमारा जीवन है।
मनीषीसंत ने अंत मे फरमाया पर्यावरण का संरक्षण करना देश के हर नागरिक का कर्तव्य है। इसके लिए हम सभी ने वन्यजीव और पेड़पौधे बचाने के लिए मेहनत करनी चाहिए। वन्यजीव का शिकार करनेवालों और पेड़ों तथा जंगलों की कटाई करनेवालो के खिलाफ सरकार ने सख्त नियम बनाने चाहिए। प्रदूषण हमारे पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन बनता जा रहा है। इसलिए प्रदूषण को कम करना हम सबकी जिम्मेदारी है, जिससे इंसानों के साथ आसपास के सभी जीवों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। प्लास्टिक थैली की जगह कपड़े की थैली का प्रयोग करना चाहिए। पानी और बिजली का सदुपयोग करना जरूरी है। निजी परिवहन की जगह सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करना चाहिए। पर्यावरण को साफ और स्वच्छ रखना चाहिए।
नशामुक्ति दिवस पर मनीषीसंत ऑनलाईन के माध्यम से करेगें देशभगत विश्वविद्यालय के विशाल जन सैलाब को संबोधित
मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक आज नशामुक्ति दिवस के अवसर पर ऑनलाईन के माध्यम से देशभगत विश्वविद्यालय के विशाल जनसैलाभ को संबोधित करेगेेंं।